हम लड़को की भी क्या हालत हो जाती है।बहुत कुछ पाने की उम्मीद लेकर इतना कुछ पीछे छोड़ कर आ जाते हैं और कभी-कभी हाथ लगता कुछ भी नहीं ।अपना घर छोड़के पराये घर में रहते हैं।अपने घर में इतने नखरे होते हैं पर बाहर इन नखरों का ख्याल रखने वाला कोई भी नहीं है।अगर गुस्सा हो भी तो किसपे?अगर जिद्द करे भी तो किससे?यहाँ पापा की तरह कौन है जो सारी जिद्द पूरी कर देगा।यहाँ माँ जैसी कोई भी नहीं जो हमारे गुस्से को झेल लेगी और कहेगी चल बेटा कुछ खा ले,इतनी देर से कुछ खाया नहीं।यहाँ बहन की तरह कौन है जो राखी के लिए कितने-2 न जाने कहाँ-कहाँ से रूपये इकटठा कर लेती है।यहाँ भाई जैसा कौन है जो हमारी गलतियों को छिपा लेगा और पापा से कहेगा “पापा इसकी नहीं मेरी गलती है”।इतने सपने हम लड़के बुने रहते हैं और वो सपने इस कदर काँच की तरह छन से टूट जाते हैं कि पता ही नहीं चलता कि क्या बनाने आये थे और क्या बन रहा है।काँच के टूटने पर तो आवाजें भी आती है पर इन सपनों के टूटने पर कोई आवाज नहीं आती और ये स्वंय के अलावा कोई नहीं सुन पाता।कैसी जिन्दगी हो गयी है कि माँ-बाप को खुश करने के लिए माँ-बाप से ही दूर रहना पड़ता है।सपनों को बनाने में अपनों को ही छोड़ जाना पड़ता है।उम्मीदों की चादर दिन-ब-दिन बढ़ती चली जाती है और समय इस कदर घटता चला जाता है कि पता ही नहीं चलता कि घर छोड़े कितने साल हो गये।कब मिलना है और कितना मिलना है ये कोई नहीं बता सकता है।घर पे जितने नखरे होते थे ,बाहर आकर सब भूल जाते हैं।घर के खाने में स्वाद लेते थे और खुदसे बनाये खाने से सिर्फ पेट भरते हैं।दुनिया भर की व्यथा तो सुन लेते हैं पर खुद की व्यथा को कह ही नहीं पाते।रोना तो बहुत चाहते हैं पर दुनिया की तंज से घबराते हैं।और जब घर की बहुत याद आती है ना तो बंद कमरे में रो लेते हैं और किसी को भनक भी नहीं लगती।सिसकियाँ लेते तो हैं पर इन सिसकियों में आवाज नहीं होती,वो सिर्फ इस डर से कि लोग कहेंगे कि क्या लड़कियों की तरह रो रहे हो।अब इनको कौन समझाये कि हम लड़के पत्थर दिल नहीं होते।हमें भी दर्द होता है,हमें भी याद आती है माँ के प्यार की,पापा के दुलार की ,बहना की राखी की और भाई-भाई का आपस में लड़ना-झगड़ना।कैसे इन सबसे दूर रहकर हम जीते हैं ,ये सिर्फ हम लड़के ही जानते हैं।हाँ माना कि लड़कियाँ एक घर छोड़कर दूसरे घर को जाती है,पर भाईसाहब लड़के भी घर छोड़ जाते हैं।अम्मा -बाबा की तरह बाहर तो कोई प्यार करने वाला नहीं मिलता है पर हाँ अगर कोई भी थोड़ा प्यार दिखा देता है तो उस पर अपना सब कुछ लुटा जाते हैं।ये हम लड़कों की फितरत है कि बहुत कुछ छोड़कर भी खुद को जीना सिखाते हैं।ये कैसी जीवन की व्यथा है कि कुछ पाने की चाहत में बहुत कुछ पीछे छोड़ आते हैं।